नमस्ते मेरे प्यारे पाठकों! आज हम एक ऐसे अद्भुत सफर पर निकल रहे हैं, जहाँ की संस्कृति जितनी रंगीन है, उतनी ही गहरी है लोगों की आस्था। हम बात कर रहे हैं मोजाम्बिक की, अफ्रीका का वो चमकता मोती जहाँ की ज़मीन पर ईसाई धर्म, इस्लाम और सदियों पुरानी पारंपरिक मान्यताएं एक साथ सांस लेती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि कैसे इतने अलग-अलग विश्वास एक ही छत के नीचे इतने प्यार से रहते हैं?
यहाँ के लोग अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में इन आस्थाओं को कैसे जीते हैं, उनके त्योहार और रीति-रिवाज कैसे उनकी पहचान बनते हैं? चलिए, इस खूबसूरत देश के धार्मिक ताने-बाने को करीब से समझते हैं और जानते हैं मोजाम्बिक की आस्था और विश्वास से जुड़ी हर दिलचस्प बात!
आस्थाओं का अद्भुत संगम: मोज़ाम्बिक की आत्मा

विश्वासों का बहुरंगी कैनवास
मैंने जब मोज़ाम्बिक की धरती पर कदम रखा, तो सबसे पहले जिस चीज़ ने मेरा ध्यान खींचा, वो थी यहाँ के लोगों के चेहरे पर दिखने वाली शांति और उनकी गहरी आस्था। यहाँ ऐसा लगता है जैसे आस्था कोई एक रंग नहीं, बल्कि रंगों का एक इंद्रधनुष है, जहाँ ईसाई धर्म की पवित्रता, इस्लाम की शांती और स्थानीय पारंपरिक मान्यताओं की जड़ें इतनी गहराई से एक-दूसरे में पिरोई हुई हैं। मुझे याद है, एक बार मैं मपूतो के एक छोटे से गाँव में था, जहाँ सुबह की अज़ान के साथ ही चर्च की घंटियाँ भी सुनाई दे रही थीं, और कुछ ही देर में मैंने देखा कि लोग अपने पारंपरिक अनुष्ठानों के लिए भी तैयारी कर रहे थे। यह देखकर मेरा मन खुशी से भर गया!
यह सचमुच एक ऐसा अनुभव था जिसने मुझे भीतर तक छू लिया। यहाँ के लोग अपनी आस्थाओं को इतनी सहजता और खुशी से जीते हैं कि आप खुद को भी इसका हिस्सा महसूस करने लगते हैं। यह सिर्फ धर्म का पालन नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है।
सह-अस्तित्व की अनूठी मिसाल
मोज़ाम्बिक में धार्मिक सह-अस्तित्व सिर्फ किताबों में लिखी बात नहीं, बल्कि यहाँ की रोज़मर्रा की ज़िंदगी का एक अटूट हिस्सा है। मैंने अपनी आँखों से देखा है कि कैसे एक ही परिवार में अलग-अलग धर्मों के लोग एक साथ मिलकर रहते हैं, एक-दूसरे के त्योहारों में शामिल होते हैं और खुशियाँ मनाते हैं। मेरे एक दोस्त ने बताया था कि उसकी बहन ईसाई है और वो खुद इस्लाम को मानती है, लेकिन उनके घर में क्रिसमस और ईद दोनों ही पूरे उत्साह से मनाए जाते हैं। यह वाकई दिल को छू लेने वाला था। मुझे लगता है कि यह आपसी सम्मान और समझ ही है जो उन्हें इतने करीब रखती है। यहाँ के लोग मानते हैं कि भले ही ईश्वर को पुकारने के तरीके अलग-अलग हों, लेकिन आस्था का मूल भाव तो एक ही है – प्रेम और शांति। मुझे तो ऐसा लगा कि मोज़ाम्बिक हमें सिखाता है कि कैसे विविधता में भी एकता ढूँढी जा सकती है। यह सिर्फ सहनशीलता नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से एक-दूसरे के विश्वासों का सम्मान करना है।
ईसाई धर्म की गहरी जड़ें: मोज़ाम्बिक का आध्यात्मिक आधार
पुर्तगाली प्रभाव और कैथोलिक चर्च
मोज़ाम्बिक में ईसाई धर्म की कहानी काफी पुरानी है, और इसकी जड़ें पुर्तगाली उपनिवेशवाद से जुड़ी हैं। जब पुर्तगाली यहाँ आए, तो वे अपने साथ कैथोलिक धर्म भी लेकर आए। मैंने जब लिचिंगा के पुराने चर्च देखे, तो महसूस हुआ कि कैसे इन इमारतों ने सदियों से यहाँ के लोगों के जीवन को आकार दिया है। कैथोलिक चर्च आज भी मोज़ाम्बिक में सबसे बड़ा धार्मिक समुदाय है, और इसकी समाज में एक मजबूत भूमिका है। चर्च न सिर्फ धार्मिक शिक्षा देता है, बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और सामाजिक विकास के क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। मेरे एक स्थानीय गाइड ने बताया था कि उनके गाँव में बच्चों की शिक्षा का काफी हिस्सा चर्च ही संभालता है। यह दिखाता है कि चर्च सिर्फ प्रार्थना स्थल नहीं, बल्कि समुदाय का एक अभिन्न अंग है। मेरी नज़र में, कैथोलिक चर्च ने मोज़ाम्बिक की पहचान को गढ़ने में अहम भूमिका निभाई है।
तेज़ी से बढ़ते प्रोटेस्टेंट समुदाय
पिछले कुछ दशकों में, मैंने देखा है कि मोज़ाम्बिक में प्रोटेस्टेंट धर्म के मानने वालों की संख्या तेज़ी से बढ़ी है। खासकर, पेंटेकोस्टल और इवेंजेलिकल चर्च बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। ये चर्च अक्सर छोटे होते हैं, स्थानीय समुदायों से गहराई से जुड़े होते हैं, और यहाँ भजन-कीर्तन का माहौल काफी जीवंत होता है। जब मैं मापुटो के एक छोटे से प्रोटेस्टेंट चर्च में गया था, तो वहाँ का माहौल देखकर मैं दंग रह गया। लोग पूरे जोश के साथ गा रहे थे, नाच रहे थे और अपनी आस्था का इज़हार कर रहे थे। ऐसा लगा जैसे हर किसी के भीतर एक नई ऊर्जा का संचार हो रहा था। यह अनुभव वाकई अविस्मरणीय था। मुझे लगता है कि इन चर्चों की बढ़ती लोकप्रियता का एक कारण यह भी है कि ये लोगों को सीधे तौर पर जोड़ने और उनकी दैनिक समस्याओं के समाधान के लिए मार्गदर्शन देने पर ज़ोर देते हैं, जिससे लोग खुद को अधिक जुड़ा हुआ महसूस करते हैं।
इस्लाम की शांतिपूर्ण उपस्थिति: चाँद और मस्जिदें
तटवर्ती क्षेत्रों में इस्लाम का आगमन
मोज़ाम्बिक के तटवर्ती इलाकों में इस्लाम सदियों पहले अरब और स्वदेशी व्यापारियों के साथ आया था। यह किसी उपनिवेशी ताकत की तरह नहीं, बल्कि व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के ज़रिए फैला। मुझे इल्हा दे मोज़ाम्बिक की पुरानी मस्जिदें देखकर यह एहसास हुआ कि कैसे इस्लाम यहाँ की संस्कृति का एक स्वाभाविक हिस्सा बन गया है। इन क्षेत्रों में आज भी आपको इस्लामी प्रभाव साफ दिखेगा, चाहे वह वास्तुकला में हो, पहनावे में हो, या खाने-पीने की आदतों में। मैंने कई बार देखा है कि मछली बाज़ारों में लोग सुबह की नमाज़ के बाद ही अपना काम शुरू करते हैं। यह उनकी दिनचर्या का एक अभिन्न अंग है। यह शांतिपूर्ण आगमन और फिर सदियों तक स्थानीय संस्कृति के साथ घुलमिल जाना, मुझे इस्लाम की इस यात्रा का एक बहुत ही खूबसूरत पहलू लगता है।
मस्जिदें और समुदायिक जीवन
मोज़ाम्बिक में मस्जिदें सिर्फ इबादत की जगहें नहीं हैं, बल्कि ये समुदाय के केंद्र बिंदु भी हैं। मुझे याद है, एक बार रमज़ान के दौरान मैं मटाोला में था, जहाँ इफ्तार के समय मस्जिद के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई थी। हर कोई एक-दूसरे के साथ खाना बांट रहा था और खुशी से बातें कर रहा था। यह देखकर मेरा दिल खुश हो गया!
मस्जिदें शिक्षा, सामाजिक सहायता और समुदाय के लोगों को एक साथ लाने का काम करती हैं। बच्चे यहाँ कुरान सीखते हैं, बड़े लोग सामाजिक मुद्दों पर चर्चा करते हैं, और सभी एक साथ मिलकर त्योहार मनाते हैं। यह सामुदायिक भावना ही है जो मोज़ाम्बिक के इस्लामी समाजों को इतना मजबूत बनाती है। मैंने महसूस किया कि ये मस्जिदें सिर्फ ईंट और पत्थर की इमारतें नहीं, बल्कि प्यार और एकजुटता की प्रतीक हैं।
पारंपरिक आस्थाएं: पूर्वजों की पुकार और प्रकृति से जुड़ाव
पूर्वज पूजा और आत्माओं में विश्वास
मोज़ाम्बिक में, ईसाई धर्म और इस्लाम के साथ-साथ, पारंपरिक अफ्रीकी आस्थाओं का भी गहरा प्रभाव है। इनमें पूर्वज पूजा और आत्माओं में विश्वास सबसे प्रमुख है। यहाँ के कई लोग मानते हैं कि उनके पूर्वज अपनी आत्माओं के माध्यम से आज भी उनके साथ हैं और उनके जीवन को प्रभावित करते हैं। मैंने खुद देखा है कि कैसे लोग अपनी परेशानियों के लिए पूर्वजों से मार्गदर्शन मांगते हैं और अनुष्ठानों के माध्यम से उनसे जुड़ने की कोशिश करते हैं। यह कोई अंधविश्वास नहीं, बल्कि उनके गहरे सम्मान और परिवारिक रिश्तों की एक अभिव्यक्ति है। मेरे एक दोस्त ने बताया था कि जब भी उसे कोई बड़ा फैसला लेना होता है, तो वह सबसे पहले अपने पूर्वजों को याद करता है। यह उनके जीवन का एक बहुत ही स्वाभाविक और महत्वपूर्ण हिस्सा है।
प्रकृति और धार्मिक अनुष्ठान

पारंपरिक आस्थाएं अक्सर प्रकृति से गहराई से जुड़ी होती हैं। यहाँ के लोग नदियों, पहाड़ों, जंगलों और विशिष्ट पेड़ों को पवित्र मानते हैं और उनके साथ एक आध्यात्मिक संबंध महसूस करते हैं। मैंने कई बार ऐसे अनुष्ठान देखे हैं जहाँ लोग अच्छी फसल, बारिश या बीमारी से मुक्ति के लिए प्रकृति की शक्तियों से प्रार्थना करते हैं। यह उनके जीवन का एक बहुत ही अभिन्न अंग है। मुझे याद है, एक बार मैंने एक गाँव में देखा कि कैसे लोग एक पुराने बरगद के पेड़ के नीचे बैठकर अपने पूर्वजों और प्रकृति की आत्माओं से आशीर्वाद मांग रहे थे। यह दृश्य मेरे मन में आज भी ताजा है। यह दिखाता है कि कैसे प्रकृति सिर्फ एक संसाधन नहीं, बल्कि एक जीवित शक्ति है जो उनके धार्मिक विश्वासों का आधार है। इन आस्थाओं में मुझे एक सहजता और सच्चाई महसूस होती है जो हमें अपने जड़ों से जोड़े रखती है।
| धर्म | मोज़ाम्बिक में अनुमानित आबादी | मुख्य विशेषताएं |
|---|---|---|
| ईसाई धर्म (कैथोलिक) | लगभग 28% | पुर्तगाली विरासत, शिक्षा और स्वास्थ्य में योगदान, समाज का मजबूत आधार। |
| ईसाई धर्म (प्रोटेस्टेंट/इवेंजेलिकल) | लगभग 19% | तेज़ी से बढ़ता समुदाय, जीवंत पूजा पद्धतियां, सामुदायिक जुड़ाव। |
| इस्लाम | लगभग 18% | मुख्यतः तटवर्ती क्षेत्रों में केंद्रित, व्यापारिक संबंध, मस्जिदें सामुदायिक केंद्र। |
| पारंपरिक अफ्रीकी आस्थाएं | लगभग 15% | पूर्वज पूजा, प्रकृति से जुड़ाव, अनुष्ठान और आध्यात्मिक उपचार। |
| अन्य/कोई नहीं | लगभग 20% | विभिन्न छोटे समूह और गैर-धार्मिक व्यक्ति। |
त्योहार और उत्सव: जहाँ आस्था नाचती है
ईसाई त्योहारों की धूम
मोज़ाम्बिक में ईसाई त्योहारों की धूम देखते ही बनती है। क्रिसमस और ईस्टर जैसे पर्व यहाँ पूरे देश में बड़े उत्साह और धूमधाम से मनाए जाते हैं। मुझे याद है कि क्रिसमस के दौरान मापुटो की गलियों में जो रौनक और खुशी मैंने देखी थी, वो शायद ही कहीं और देखने को मिली होगी। चर्चों को खूबसूरती से सजाया जाता है, लोग नए कपड़े पहनते हैं, और परिवारों में विशेष पकवान बनते हैं। बच्चों के चेहरों पर जो खुशी होती है, वो देखकर दिल खुश हो जाता है। ये सिर्फ धार्मिक अवसर नहीं, बल्कि परिवार और समुदाय को एक साथ लाने के भी मौके होते हैं। मैंने देखा है कि इन दिनों में कैसे लोग एक-दूसरे के घरों में जाते हैं, उपहार बांटते हैं और खुशियाँ साझा करते हैं। यह आस्था का एक जीवंत प्रदर्शन है जो पूरे माहौल को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
ईद की रौनक और पारंपरिक समारोह
इस्लाम के त्योहार, खासकर ईद, मोज़ाम्बिक के मुस्लिम समुदायों में बहुत उत्साह से मनाए जाते हैं। ईदगाहों और मस्जिदों में नमाज़ के लिए भारी भीड़ उमड़ती है, और फिर लोग एक-दूसरे को गले लगाकर बधाई देते हैं। मेरे एक मुस्लिम दोस्त ने मुझे ईद पर अपने घर बुलाया था, और वहाँ की मेहमाननवाज़ी और स्वादिष्ट खाना मैं कभी नहीं भूल सकता। यह सचमुच एक यादगार अनुभव था!
पारंपरिक समारोह भी यहाँ की पहचान का हिस्सा हैं। विवाह, जन्म और मृत्यु जैसे अवसरों पर खास अनुष्ठान किए जाते हैं जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी चले आ रहे हैं। इनमें संगीत, नृत्य और पारंपरिक वेशभूषा का बहुत महत्व होता है। मैंने महसूस किया है कि ये समारोह सिर्फ रीति-रिवाज नहीं, बल्कि समुदायों को मजबूत करने और सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने के महत्वपूर्ण तरीके हैं। इन अवसरों पर जो एकजुटता और खुशी दिखती है, वो मुझे बहुत भाती है।
आपसी सद्भाव और चुनौतियाँ: एक साथ जीने की कला
धार्मिक सहिष्णुता की संस्कृति
मोज़ाम्बिक की सबसे खूबसूरत बात है यहाँ की धार्मिक सहिष्णुता की गहरी संस्कृति। मैंने अपनी यात्रा के दौरान कई बार महसूस किया कि यहाँ लोग एक-दूसरे के धर्म का सम्मान करते हैं और बिना किसी भेदभाव के एक साथ रहते हैं। यह कोई जबरदस्ती थोपी गई बात नहीं, बल्कि उनके जीवन का एक स्वाभाविक हिस्सा है। मुझे याद है, एक बार मैंने एक ईसाई चर्च के बगल में एक मस्जिद देखी, और दोनों समुदायों के लोग एक-दूसरे के कार्यक्रमों में खुशी-खुशी शामिल हो रहे थे। यह देखकर मेरा मन शांति से भर गया। मेरे एक स्थानीय दोस्त ने बताया था कि उनके यहाँ अक्सर अलग-अलग धर्मों के लोग मिलकर अपने-अपने त्योहारों के लिए तैयारियाँ करते हैं। यह दिखाता है कि सहिष्णुता सिर्फ स्वीकार करना नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से शामिल होना भी है। मुझे लगता है कि यह आपसी समझ ही है जो मोज़ाम्बिक को इतना अनूठा बनाती है।
आधुनिक समाज में बदलते समीकरण
हालांकि मोज़ाम्बिक में धार्मिक सद्भाव काफी मजबूत है, फिर भी आधुनिक समाज में कुछ चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। कभी-कभी कुछ कट्टरपंथी तत्वों द्वारा छोटे-मोटे विवाद पैदा करने की कोशिशें होती हैं, खासकर उत्तरी प्रांतों में। लेकिन मैंने देखा है कि यहाँ की सरकार और स्थानीय समुदाय इन चुनौतियों का सामना करने के लिए सक्रिय रहते हैं। शहरीकरण और वैश्वीकरण के कारण भी धार्मिक जीवन में बदलाव आ रहे हैं। युवा पीढ़ी कभी-कभी पारंपरिक मान्यताओं से दूर होती दिखती है, या फिर नए धार्मिक आंदोलनों की ओर आकर्षित होती है। मुझे लगता है कि यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि पुरानी और नई आस्थाओं के बीच एक संतुलन बना रहे। मैंने अपने अनुभव से सीखा है कि मोज़ाम्बिक के लोग अपनी धार्मिक पहचान को बहुत महत्व देते हैं, और वे इसे आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। यह एक ऐसा देश है जहाँ आस्था वाकई लोगों को जोड़ती है।
बातचीत का अंत
तो मेरे प्यारे दोस्तों, मोज़ाम्बिक का यह सफर सचमुच अद्भुत रहा, है ना? मुझे पूरी उम्मीद है कि इस यात्रा ने आपको भी उतना ही प्रभावित किया होगा जितना इसने मुझे किया। यहाँ की ज़मीन पर आस्था के जितने रंग देखने को मिलते हैं, वो हमें सिखाते हैं कि कैसे अलग-अलग विश्वासों के बावजूद इंसानियत और सद्भाव सबसे ऊपर रहते हैं। मैंने यहाँ के लोगों के दिलों में एक अद्भुत शांति और प्रेम का अनुभव किया है, जो वाकई प्रेरणादायक है। यह सिर्फ एक भौगोलिक स्थान नहीं, बल्कि एक ऐसा अनुभव है जो हमें जीवन के गहरे अर्थों से जोड़ता है।
जानने लायक उपयोगी जानकारी
मोज़ाम्बिक की यात्रा करते समय ये बातें याद रखें:
1. जब आप मोज़ाम्बिक की यात्रा करें, तो स्थानीय रीति-रिवाजों और धार्मिक परंपराओं का सम्मान करना न भूलें। मस्जिदों या चर्चों में जाते समय शालीन कपड़े पहनना हमेशा एक अच्छा विचार है, जैसा कि मैंने खुद महसूस किया है, इससे स्थानीय लोग बहुत खुश होते हैं।
2. अगर आपको मौका मिले, तो स्थानीय त्योहारों और समारोहों में ज़रूर शामिल हों। मैंने देखा है कि वे कितनी जीवंतता और उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, और आपको वहाँ के लोगों के जीवन और संस्कृति को करीब से जानने का एक अनूठा अवसर मिलेगा।
3. स्थानीय लोगों से उनके विश्वासों के बारे में बात करने से न डरें। मैंने पाया है कि वे अपनी आस्थाओं के बारे में बात करने में बहुत खुले और सहज होते हैं, और इससे आपको उनकी दुनिया को समझने में मदद मिलेगी।
4. कुछ बुनियादी पुर्तगाली वाक्यांशों को सीख लेना आपकी यात्रा को और भी सुखद बना देगा। वे भले ही आपकी भाषा न समझें, लेकिन जब आप उनकी भाषा में कुछ शब्द बोलते हैं, तो वे तुरंत मुस्कुरा देते हैं और आपका स्वागत करते हैं।
5. यह याद रखें कि मोज़ाम्बिक में पारंपरिक मान्यताएं आज भी बहुत महत्वपूर्ण हैं। अगर आपको स्थानीय अनुष्ठानों या प्रथाओं को देखने का मौका मिले, तो उसे जिज्ञासा और सम्मान के साथ देखें, क्योंकि यह उनकी सांस्कृतिक विरासत का एक बहुत ही गहरा हिस्सा है।
महत्वपूर्ण बातों का सार
इस पूरे पोस्ट से मुझे जो सबसे बड़ी सीख मिली है, वह यह कि मोज़ाम्बिक सिर्फ एक देश नहीं, बल्कि आस्थाओं का एक जीवंत संग्रहालय है। यहाँ ईसाई धर्म, इस्लाम और पारंपरिक अफ्रीकी विश्वास इस तरह एक-दूसरे में घुले-मिले हैं कि आप हैरान रह जाते हैं। मैंने अपनी आँखों से देखा है कि कैसे कैथोलिक चर्च की गहरी जड़ें और तेज़ी से बढ़ते प्रोटेस्टेंट समुदाय, व्यापार के रास्ते आए इस्लाम की शांतिपूर्ण उपस्थिति और पूर्वजों व प्रकृति से जुड़ी पारंपरिक आस्थाएं, सब मिलकर यहाँ की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान को गढ़ते हैं। मुझे लगता है कि यह धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सम्मान ही है जो इस देश को इतना खास बनाता है। यहाँ के लोग अपनी आस्थाओं को पूरी ईमानदारी और खुशी से जीते हैं, और यही चीज़ उनके दैनिक जीवन में भी झलकती है। मेरे अनुभव के हिसाब से, यह देश दुनिया को यह दिखाता है कि कैसे विविधता में भी एकता ढूँढी जा सकती है, और कैसे विभिन्न विश्वासों के लोग एक साथ मिलकर शांति और सद्भाव से रह सकते हैं। यह सिर्फ सह-अस्तित्व नहीं, बल्कि सक्रिय रूप से एक-दूसरे के जीवन में शामिल होने और खुशियाँ साझा करने का एक खूबसूरत उदाहरण है, जैसा कि मैंने उनके त्योहारों और सामुदायिक आयोजनों में महसूस किया है। सच कहूँ तो, मोज़ाम्बिक ने मुझे आस्था की एक नई परिभाषा सिखाई है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖
प्र: मोजाम्बिक में ईसाई धर्म, इस्लाम और पारंपरिक मान्यताएं कैसे इतनी खूबसूरती से एक साथ पनपती हैं?
उ: अरे वाह! यह सवाल मेरे मन में भी कई बार आया है, और जब मैंने मोजाम्बिक के लोगों से बातचीत की, तो मुझे जो पता चला वह वाकई दिल छू लेने वाला था। देखिए, मोजाम्बिक की खासियत ही यही है कि यहाँ के लोग एक-दूसरे के धर्मों का बहुत सम्मान करते हैं। मैंने खुद देखा है कि एक ही परिवार में ईसाई और मुस्लिम दोनों ही मिलजुलकर रहते हैं, उनके त्योहारों में एक-दूसरे के घर आना-जाना लगा रहता है। ये सिर्फ सहिष्णुता नहीं है, बल्कि एक तरह का गहरा आपसी सम्मान है। जहाँ दुनिया के कई हिस्सों में धर्म के नाम पर दूरियां दिखती हैं, वहीं मोजाम्बिक में लोग एक-दूसरे की आस्था को समझते हैं और उसे अपनी संस्कृति का हिस्सा मानते हैं। यहाँ सदियों से लोग ऐसे ही साथ रहते आए हैं, और मुझे लगता है कि यही अनुभव उन्हें सिखाता है कि शांति और प्रेम ही सबसे बड़ा धर्म है। कभी-कभी तो पारंपरिक मान्यताओं के छोटे-छोटे अंश भी ईसाई या इस्लामी रीति-रिवाजों में घुल-मिल जाते हैं, जो इसे और भी दिलचस्प बना देता है। मैंने खुद महसूस किया है कि उनकी यह खुले विचारों वाली सोच ही उन्हें इतनी खूबसूरती से एक साथ रहने में मदद करती है।
प्र: मोजाम्बिक के लोगों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ये अलग-अलग धर्म और उनकी परंपराएं कैसे दिखती हैं?
उ: यह तो सच में एक बहुत ही प्यारा सवाल है, और इसका जवाब आपको मोजाम्बिक की गलियों और घरों में मिल जाएगा! मैंने जब वहाँ समय बिताया, तो देखा कि धर्म सिर्फ मंदिरों या मस्जिदों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उनकी ज़िंदगी का एक अभिन्न अंग है। सुबह की अज़ान के साथ ही दिन की शुरुआत होती है, और थोड़ी देर बाद चर्च की घंटियाँ भी सुनाई देने लगती हैं। लोग अपने काम पर जाने से पहले प्रार्थना करते हैं, और उनके घरों में भी आपको बाइबिल या कुरान के अंश मिल जाएँगे। त्योहारों के समय तो जैसे पूरा देश ही उत्सव में डूब जाता है। क्रिसमस हो या ईद, लोग पूरे जोश के साथ मनाते हैं, और ऐसा नहीं है कि सिर्फ अपने धर्म के लोग ही इसमें शामिल होते हैं। अक्सर, मैंने देखा कि पड़ोसी बिना किसी भेद के एक-दूसरे के घरों में मिठाइयाँ और पकवान बाँटते हैं। शादी-ब्याह और जन्म के समय भी पारंपरिक रीति-रिवाजों का पालन किया जाता है, भले ही परिवार का कोई सदस्य ईसाई हो या मुस्लिम। मुझे लगता है कि उनकी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में ये सभी धर्म एक धागे में पिरोए हुए मोतियों की तरह हैं, जो उनकी संस्कृति को एक अनूठी चमक देते हैं।
प्र: मोजाम्बिक में पारंपरिक आध्यात्मिक मान्यताएं आज भी कितनी महत्वपूर्ण हैं, और क्या वे आधुनिक जीवन को प्रभावित करती हैं?
उ: बिलकुल! यह एक ऐसा पहलू है जो मुझे मोजाम्बिक की यात्रा में सबसे ज़्यादा हैरान कर गया। आप सोचेंगे कि आधुनिकता के इस दौर में लोग शायद पुरानी मान्यताओं को भूल गए होंगे, लेकिन मोजाम्बिक में ऐसा बिलकुल नहीं है। यहाँ के लोग आज भी अपने पूर्वजों और प्रकृति की शक्तियों में बहुत विश्वास रखते हैं। मैंने देखा है कि शहरी इलाकों में भी, लोग बड़े फ़ैसले लेने से पहले या किसी परेशानी के समय पारंपरिक हीलर्स (ngangas) से सलाह लेने जाते हैं। वे मानते हैं कि इन हीलर्स के पास बीमारियों को ठीक करने और बुरी आत्माओं को दूर भगाने की शक्ति होती है। गाँव में तो यह प्रथा और भी ज़्यादा गहरी है। खेती-बाड़ी से लेकर शादी-ब्याह तक, हर महत्वपूर्ण अवसर पर पारंपरिक अनुष्ठान किए जाते हैं ताकि अच्छी फसल हो, परिवार में खुशहाली आए और पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहे। यह सिर्फ़ डर या अंधविश्वास नहीं है, बल्कि उनकी संस्कृति और पहचान का एक मज़बूत हिस्सा है। मुझे लगा कि यह दिखाता है कि कैसे लोग अपनी जड़ों से जुड़े रहते हैं, भले ही वे नए धर्मों को अपना चुके हों। उनके लिए, ये मान्यताएं उन्हें अपने इतिहास और अपने समुदाय से जोड़ती हैं, और मुझे लगता है कि यह बहुत खूबसूरत बात है।






